Thursday, April 24, 2008

दूसरा पहलू

सुबह ६.१५ की मुम्बई से दिल्ली की पहली फ्लाईट। मैं विमान में अपनी आयल सीट पर बैठ गया। इंतज़ार करते हुए की विंडो सीट का सहयात्री आए और मैं एक अबाधित झपकी लूँ ।

करीब १० मिनिट में आधे से अधिक सीटें भर चुकी थी। मैं आँखें बंद कर नींद को सहेजने की कोशिश कर रहा था। एक लड़की की "एक्सक्यूज मी " आवाज सुनकर मैंने आँखें खोली और उसे रास्ता देने के लिए खडा हुआ।

चेहरा जाना पहचाना लग रहा था। सोचने लगा... कौन है ये लड़की? कहाँ देखा है इसे? इसी बीच वो पास की विंडो सीट पर बैठ चुकी थी। मैंने भी बैठकर आँखें मूँद ली और याद करने लगा की इस लड़की को कहाँ देखा है?

अरे!!! ये तो शायद मोनिका बेदी है!!! मैंने आँखें खोलकर कन्फर्म करने के लिए उसकी और देखा... हाँ, मोनिका बेदी ही है ।

नींद उड़ चुकी थी, टीवी पर देखी हुई मोनिका बेदी की भिन्न भिन्न न्यूज़ आंखों के सामने घूम रही थी। अबू सलेम, अंडरवर्ल्ड , पूर्तगाल में अबू सलेम के साथ गिरफ्तारी, भारत प्रत्यार्पण, कोर्ट में पेशी के लिए जाती मोनिकाआदी समाचार लाइव टेलीकास्ट की भांती आंखों के सामने दिख रहे थे।

इसी बीच विमान उड़ान भर चुका था। करीब आधे घंटे बाद बेल्ट लगाने का साइन ऑफ़ हुआ और यात्रीयों को नाश्ता देने के लिए केबिन क्रू की हलचल शुरू हुई।

चहरे पर शांती और थकान के मिश्रित भाव, सामने से किसी के आने पर खिड़की से बाहर देखना आदि से लगा रहा था की मोनिका स्वयं को दूसरों की नज़रों से बचाना चाह रही है ।

एस्क्यूज मी ... आर यूं मोनिका ? मैंने पूछा

उत्तर में उसने मुस्कुराकर "हाँ" में गर्दन हिलाई।

मैंने अपना परिचय दिया। उसे अपना परिचय देने की जरुरत नहीं थी, पर उसने पर्याप्त रिस्पोंस देकर संवाद में रुची प्रदर्शित की।

एक आम हिंदुस्थानी की हैसीयत से मैंने मोनिका के बारे में समाचार माध्यमों में काफी पढा था पर यहाँ उसका जिक्र करना मूर्खता होती। और जब कोर्ट ने उसे बरी कर दिया हो तो किसी और को सफाई मांगने का अधिकार नहीं बचता है। सो मैंने उस ना विषय को ना छूना ही ठीक समझा ।

शुरुआती बातचीत में मोनिका ने बताया की आजकल वो फ़िल्म इंडस्ट्री में कम बेक की तैयारी कर रही है, और जल्द ही एक प्रोजेक्ट शुरू होने की उम्मीद है।


मेरे पूछने पर उसने बताया की कोर्ट से बरी होने के बाद वो जीवन में बहुत शांती महसूस कर रही है। जो हुआ बहुत बुरा हुआ और उसे में एक बुरे सपने की तरह भूल कर फ़िर से एक सामान्य जीवन जीना चाहती हूँ। कठिनाइयां अभी भी आ रही है, मीडिया पीछे पडा रहता है, पर मेरी कोशिशें जारी है।


आगे मोनिका कहती है की मेरे बुरे समय में मेरे परिवार और दोस्तों ने मुझे बहुत सपोर्ट किया और मेरा हौसला बढाते रहे, यही कारण है की मैं फ़िर से अपना करियर शुरू करने की हिम्मत कर रही हूँ।


बातों का सिलसिला करीब एक घंटे बाद ख़त्म हुआ, जब सीट बेल्ट लगाने का निर्देश हुआ । मुझे दिल्ली उतरना था, जबकि मोनिका इसी फ्लाईट से चण्डीगढ़ जा रही थी।


आजकल किसी भी पब्लिक फिगर की हर छोटी-बड़ी, महत्वपूर्ण या फालतू, सच या झूठ किसी भी ख़बर की जुगाली हर न्यूज़ चेनल कई दिनों तक करता रहता है, फ़िर भी कई पहलू सामने आने से रह जाते है।


मोनिका बेदी दोषी थी या नहीं, उसके अंडरवर्ल्ड से संबंध थे या नहीं ये टू मैं नहीं कह सकता, पर उसका फ़िल्म इंडस्ट्री में लौटने का हौसला देखकर सोचने लगा की एक २७ - २८ साल की लड़की, जिस पर अंडरवर्ल्ड से रिश्तों के आरोप लगे हों, गिरफ्तार होकर महीनों तक जेल में रही हो, हर अखबार- टीवी चेनल जिसके बारे में नेगेटिव ही लिखता हो, उसने कितना मानसिक त्रास सहा होगा? कई अपनों ने दूरियां बना ली होगी, किसी के मन में डर या किसी के मन में नफ़रत होगी।


ऐसी परिस्थिती से लड़ना किसी लड़की के लिए आसान काम नहीं हो सकता । आजकल छोटी छोटी परेशानियों से घबराकर या dipressed होकर drugs लेना या आत्महत्या करने की खबरें काफी सुनने को मिलाती है, ऐसे में मोनिका बेदी जैसी लड़की का फ़िर से काम पर लौटकर सामान्य जीवन जीने की हिम्मत करना निश्चित ही सराहनीय है।


मेरी शुभकामनाएं।



2 comments:

Anonymous said...

hi, its really an another view. i liked that.
Vishal

Anonymous said...

ya its indeed a good writeup... this shows the talent of a writer... how can he see the different vison... thats a good example...