Thursday, July 24, 2008

राजदीप सरदेसाई ! जनता के अधिकार कि रक्षा करो!

मुझे जो अपेक्षा तरुण तेजपाल से थी (मेरा पिछला ब्लॉग देखें) वो राजदीप सरदेसाई ने पूरी की मैं राजदीप का एक अरसे से प्रशंसक रहा हूँ परन्तु, आज मुझे दुःख है कि उनके एक अनपेक्षित निर्णय ने उनकी छवि को धूमिल कर दिया है

मनमोहन सरकार ने अंतत: संसद में विश्वास मत प्राप्त कर ही लिया ये बात किसी से छुपी नहीं है की २७५ का आंकडा छूने के लिए उनके साथियों को क्या क्या नहीं करना पडा ये बात तब कन्फर्म हो गयी जब तीन सांसदों ने संसद में नोटों की गड्डियां लहरा कर दिखाई

राजदीप सरदेसाई ने अपने चेनल पर स्वीकार किया कि उनके पास रुपयों ले लेनदेन के सबूत मौजूद है लेकिन उन्हें प्रसारित नहीं किया गया

बिना सिरपैर की खबरें, वो भी बिना किसी सबूत के घंटों चलाने वाला इलेक्ट्रोनिक मीडिया, जो सनसनी फैलाने वाली खबरें ब्रेकिंग न्यूज़ के नाम से चलाने में क्षण मात्र की भी देर नहीं करता, कैसे इस प्रकार की अति महत्वपूर्ण ख़बर प्रसारित नहीं करने का निर्णय ले सकता है??

क्या अमन वर्मा, शक्ति कपूर जैसों के स्टिंग ओपरेशन क्या आम जनता के हित के विषय थे?? जिनकी जुगाली हमारे न्यूज़ चेनल कई दिनों तक करते रहे

राजदीप, आप पर पहले ही भाजपा विरोधी होने के आरोप लगते रहे है, ऐसे में आपका वोटों की खरीद फरोक्त के स्टिंग ओपरेशन को प्रसारित नहीं करने का निर्णय आपके दर्शकों को क्या संदेश देगा? क्या आपकी निष्पक्षता पर यह एक प्रश्न चिन्ह नहीं है? क्या जनता को सच देखने का अधिकार नहीं है? क्या आपका इस सच को उजागर करने का कर्तव्य नहीं है??
इस बारे में आपका कोई भी तर्क एक आम हिन्दुस्तानी को मानी नहीं होगा
मुझे उम्मीद है कि आपको पद्मश्री या राज्यसभा की ख्वाइश नही है...

पाठकों! आपको क्या लगता है???

3 comments:

Anil Kumar said...

ऐसा करके मार्केट में राजदीप के भाव बहुत बढ़ गये होंगे। जो अरबों रुपये नेताओं ने लिये-दिये थे एक दूसरे को विश्वासमतहेतु, अब उनमें राजदीप ने अपना भी शेयर पक्का कर लिया है। रुपयों ने राजदीप का मुख बंद किया, या फिर किसी और चीज़ ने?

Rajesh R. Singh said...

राजदीप सरदेसाई नें बिलकूल ठीक किया (१) उन्होंने सनसनी नहीं फैलाई (२) उन्होंने अराजकता की स्थिति नही पैदा होने दी (३) उन्होंने केवल अपने चैनल की टीआरपी के बारे में नहीं सोचा, (४) वो किसी पार्टी का इस मामले में न तो बचाव किया है न ही फसाया है . उनके पास जो भी इस विषय की सामग्री थी उसे सम्बंधित विभाग के हवाले करते हुए जाँच में सहयोग देने को कहा है इससे ज्यादा अपेक्षा ठीक नहीं है

रज़िया "राज़" said...

मैं आशिष जी की बात से बिल्कुल सहमत हुं।अगर आप बिना सिर पैर वाली बात कहोगे तो कौन मानेगा?शाबाश आशिषजी!